मुहब्बत हुई श्याम से
सब काम हुए आराम से ।
जब मुहब्बत हुई श्याम से ।।
कैसे कहूँ मैं व्यथित बहुत हूँ ।
तुम बिन मैं विचलित भी बहुत हूँ।
कब से पुकारूँ ओ मेरे प्रियतम।
मीरा सी बन जाऊं जोगन।
मिल जाऊं मैं तो श्याम से ।
उद्धव को ज्ञान बहुत था।
अपने पे अभिमान बहुत था।
जब प्रीत का पाठ पढ़ाया।
सुध-बुध खोकर फिरता रहता।
दंभ जो तोडा श्याम ने।
कुंज-गलीं में फिरता रहता।
राधा संग है रास रचाता।
वृंदा से वो प्रीत निभाए।
ग्वालिन को भी नाच नचाये।
आलिंगन कर जमुना जी को।
प्रीत निभाता श्याम तो।।
आरती लोहनी
मोहाली,पंजाब