मुहब्बत सिखानी तो होगी
मुहब्बत सिखानी तो होगी
ये नफ़रत मिटानी तो होगी –
किसी की ज़ुबानी तो होगी
दिलों की कहानी तो होगी
अभी तो नयी है मगर कल
ये पहचां पुरानी तो होगी
भले ये है काग़ज़ का टुकड़ा
तेरी इक निशानी तो होगी
जवाँ दिल मुहब्बत करेंगे
जवानी दिवानी तो होगी
अगर अश्क़ बहते हैं फिर भी
कहानी सुनानी तो होगी
लगी आग है जो नगर में
किसी को बुझानी तो होगी
बड़ा हादसा हो गया है
करी सावधानी तो होगी
अभी दिल पे कब्ज़ा है तेरा
तेरी हुक्मरानी तो होगी
मुक़द्दर हुआ जब ख़फ़ा है
ये मेहनत भी पानी तो होगी
ज़माने में ‘आनन्द’ इज़्ज़त
हमें ख़ुद कमानी तो होगी
-डॉ आनन्द किशोर