मुहब्बत के फ़लसफ़ा में ये कहानी होनी चाहिये!!
सोच में तुमको ही सोचूँ,सोच ये होनी चाहिये
मुहब्बत के फ़लसफा में ये कहानी होनी चाहिये
तेरे मेरे इश्क की,कोई पुरानी निशानी चाहिये
चाँद तारो के जैसे,कोई गवाही होनी चाहिये
फूलो के बागों में कोई ख़ुशबू सुहानी चाहिये
उनकी अदाओं से दुनिया दिवानी होनी चाहिये
संगमरमर सा तराशा एक दिल ज़ुबानी चाहिये
कोई मुमताज़ भी दिल में घर होनी चाहिये
सदा देता हैं दिल,शहर में कोई दीवानी चाहिये
इश्क की लौ को,दिल में नही दबानी चाहिये
लहराती हवाओँ को उनके जुल्फ़े बनानी चाहिये
मुहब्बत के फ़लसफ़ा में ये कहानी होनी चाहिये
इश्क के मौसम में पतझड़ नही आनी चाहिये
अब हर मौसम इश्क की बरसात होनी चाहिये
सोच में तुमको ही सोचूँ,सोच ये होनी चाहिये
मुहब्बत के फ़लसफा में ये कहानी होनी चाहिये…..
गिरह का शेर
“इश्क इंसान को कमज़र्फ बना देता हैं
थोड़ा सा अब हिम्मत दिखानी चाहिये”
®आकिब जावेद