मुहब्बत की खुशबू बिखरने दो यारो
मुहब्बत की खुशबू बिखरने दो यारो
ये तितली गुलो पर ही उड़ने दो यारो
ज़माने का डर है जो मिलते नहीं हैं
नज़र मिल रही है तो मिलने दो यारो
उसे सोच कर ही ग़ज़ल कह रहा हूँ
उसे ज़िंदगी में उतरने दो यारो
मिला दर्द जो भी वफ़ा का सिला है
मज़ा आ रहा है तड़पने दो यारो
जिन्हें देख कर हम सँवरने लगे हैं
उन्हें भी ज़रा सा सँवरने दो यारो