मुहब्बत आज रोती है
वफा का नाम लेकर के मुहब्बत आज रोती है
खुद से ही अपनी हालत पे शिकायत आज होती है
खुदा माना परस्तिश की हाँ कैसी बेखुदी थी ये
उस बुत की हमनें की थी जो इबादत आज रोती है
भुलायेंगे उन्हें कैसे जियेंगे कैसे यादों बिन
किसी पे आ गई थी जो तबीयत आज रोती है
तरस खायेंगे ‘अयन’ न अब फरेबों की फरेबी पर
मेरी सादा-दिली पर मेरी ही इनायत आज रोती है
M.Tiwari”Ayen”