मुस्कुराते हो तो तो अच्छे लगते ही हो।
जब मुस्कुराते हो तो तो अच्छे लगते ही हो।
पर जब गुस्साते हो तो और भी अच्छे लगते हो।।1।।
कोई क्यूँ ना मर जाए इस सादगी पर तेरी।
भोले पन में एक मासूम से छोटे बच्चे लगते हो।।2।।
अब तेरे ऐसे कहने का क्या हम बुरा माने।
तुम जहन के अभी हमको कुछ कच्चे लगते हो।।3।।
पहली बार ना इन्तिज़ार करना पड़ा मुझे।
इस ज़िंदगी में तुम वक्त के बड़े पक्के लगते हो।।4।।
क्या हुआ इत्मिनान से ये बताओ हमको।
तुम तो दिखनें में बड़े ही हक्के-बक्के लगते हो।।5।।
शायद चोट खायी है तुमने इश्के बहार में।
तभी तो दरख़्त से गिरे तुम सूखे पत्ते लगते हो।।6।।
पढ लिखकर भी यूँ बेरोजगार बन गए हो।
ना चलने वाले से तुमतो खोटे सिक्के लगते हो।।7।।
देर से ही सही पर तुम पा गए यह ओहदा।
बहुत ही जादा बाज़ार में खाये धक्के लगते हो।।8।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ