मुस्कान है
रूठी घर वाली आज ,करे नहीं कोई काज
कोई तो है बड़ा राज ,छीन ली मुस्कान है ।
मांगती हीरों का हार ,नहीं करे मुझे प्यार
दे उलाहने हजार ,भयभीत जान है ।
विचित्र सा रूप धरे , वो नाना ताण्डव करे
बाल-बच्चे सभी डरें ,ध्वस्त अब मान है ।
सुनो प्राण प्रिये ! कहा ,हाथ दोनों जोड़ रहा
प्यार का न घर गिरा , प्यार भगवान है
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
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