“मुश्किल”
सब्र हो जाय हर चीज़ में मुमकिन तो नही,
बेसब्री दीवानगी बन जाय ये मुश्किल तो नही।
चलो करते है शामिल इस एक लफ्ज़ को,
शब्दों मेँ भाव मिल जाय ये मुश्किल तो नही।
वजूद जब नही होता किसी चीज़ का,
सैकड़ों में वो गुम हो जाय ये मुश्किल तो नही।
परवाह नही ज़माने की वो क्या कहते है “सरिता”,
बेखौफ़ उनको आईना दिखाना ये मुश्किल तो नही।
महफ़िल हो या तनहाई जो हर सूँ महसूस हो,
उस नज़र को पहचानना ये मुश्किल तो नही ।
#सरितासृजना