मुझे स्नेह है उत्सवों से
मैं हिन्द की हूँ सन्तति,
मुझे स्नेह है उत्सवों से
जीवन का हर क्षण उत्सव है,
सज्जित धानी पल्लवों से
उल्लास के उद्भव स्थल,
सदा हृदय में होते हैं
“किसका पर्व” इस गणना में,
क्यों आमोद के पल खोते हैं
संस्कृति मेरे देश की
मुझको यही सिखाती है
हर पल को उत्सव सा समझ
यही तो जीवन थाती है
सो बंद करें हम बाँटना
उत्सव को तेरे मेरे में
संकीर्णता ले डूबेगी
आर्यावर्त को अंधेरे में
✍हेमा तिवारी भट्ट✍