प्यार है कीमत नहीं
प्यार है कीमत नहीं जिसको चुकाया जा सके,
कर्ज देकर प्यार का प्यार पाया जा सके,
रस्म बदला रूप बदला अब छल भरे व्यापर में,
मूल तो मिलता नहीं जो प्यार पाया जा सके,
रक्त जैसा नीर बहता जब ब्याज मिलता प्यार में,
आड़े धर्म आता जाती आती फिर प्यार के संसार में,
कुछ टूट कर बिखरे फिर नतमस्तक हुए परिवार में,
निमंत्रण ना जिसका छपा वो छप गया अखबार में,
शोर है कैसा मचा अब हो रहा क्यों विलाप है,
बनी अन्याय की जो बेड़ियां ये उसी दंश का विलाप है..