मुझे मन मारने का शौक है
हाँ,मैं एक स्त्री हूँ और मुझे मन मारने का बेहद शौक है।
यूँ ही खुद नहीं मारा मन, बचपन से मन मारना सीख गई।
खिलौने हों या पढ़ाई,टीवी देखना हो या कपड़ों का चयन,
हर एक परिस्थितियों में खुद को ढालना सीख गई हूँ मैं।
घर के हर सदस्य के बाद ही खाने का निवाला उतारती हूँ,
सबके सोने के लेकर जगने से पहले तक काम करती हूँ।
चेहरे पर न रंज है न शिकायत क्या करें हम ऐसे ही हैं
मन की क्या सुने और कितना सीखें अपने में मस्त हूँ मैं।