Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Aug 2024 · 1 min read

मुझे किसी से गिला नहीं है।

मुझे किसी से गिला नहीं है।
न तुमसा कोई मिला नहीं है।।
समय जो गुजरा बदल गये सब,
है कोई अब तक हिला नहीं है।।

— ननकी 08/08/2024

55 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
फूल और कांटे
फूल और कांटे
अखिलेश 'अखिल'
जीवन भर मरते रहे, जो बस्ती के नाम।
जीवन भर मरते रहे, जो बस्ती के नाम।
Suryakant Dwivedi
सुकुमारी जो है जनकदुलारी है
सुकुमारी जो है जनकदुलारी है
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
हटा 370 धारा
हटा 370 धारा
लक्ष्मी सिंह
वो हर खेल को शतरंज की तरह खेलते हैं,
वो हर खेल को शतरंज की तरह खेलते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ମାଟିରେ କିଛି ନାହିଁ
ମାଟିରେ କିଛି ନାହିଁ
Otteri Selvakumar
अंतहीन
अंतहीन
Dr. Rajeev Jain
#लघुकथा / #विरक्त
#लघुकथा / #विरक्त
*प्रणय प्रभात*
मईया एक सहारा
मईया एक सहारा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अपना सा नाइजीरिया
अपना सा नाइजीरिया
Shashi Mahajan
गंतव्य में पीछे मुड़े, अब हमें स्वीकार नहीं
गंतव्य में पीछे मुड़े, अब हमें स्वीकार नहीं
Er.Navaneet R Shandily
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
ढाई अक्षर वालों ने
ढाई अक्षर वालों ने
Dr. Kishan tandon kranti
बड़े मासूम सवाल होते हैं तेरे
बड़े मासूम सवाल होते हैं तेरे
©️ दामिनी नारायण सिंह
ग़ज़ल
ग़ज़ल
SURYA PRAKASH SHARMA
काबिल बने जो गाँव में
काबिल बने जो गाँव में
VINOD CHAUHAN
काम,क्रोध,भोग आदि मोक्ष भी परमार्थ है
काम,क्रोध,भोग आदि मोक्ष भी परमार्थ है
AJAY AMITABH SUMAN
बोलने को मिली ज़ुबां ही नहीं
बोलने को मिली ज़ुबां ही नहीं
Shweta Soni
तुम में और हम में फर्क़ सिर्फ इतना है
तुम में और हम में फर्क़ सिर्फ इतना है
shabina. Naaz
दवाइयां जब महंगी हो जाती हैं, ग़रीब तब ताबीज पर यकीन करने लग
दवाइयां जब महंगी हो जाती हैं, ग़रीब तब ताबीज पर यकीन करने लग
Jogendar singh
सुबह-सुबह की चाय और स़ंग आपका
सुबह-सुबह की चाय और स़ंग आपका
Neeraj Agarwal
जिस्मानी इश्क
जिस्मानी इश्क
Sanjay ' शून्य'
ये दौलत भी लेलो ये सौहरत भी लेलो
ये दौलत भी लेलो ये सौहरत भी लेलो
Ranjeet kumar patre
मुझ पर इल्जाम लगा सकते हो .... तो लगा लो
मुझ पर इल्जाम लगा सकते हो .... तो लगा लो
हरवंश हृदय
अपने और पराए की पहचान
अपने और पराए की पहचान
Sonam Puneet Dubey
अद्भुत प्रेम
अद्भुत प्रेम
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
Ramnath Sahu
ऊँचाई .....
ऊँचाई .....
sushil sarna
*बरसातों में रो रहा, मध्यम-निम्न समाज (कुंडलिया)*
*बरसातों में रो रहा, मध्यम-निम्न समाज (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
प्रकृति ने अंँधेरी रात में चांँद की आगोश में अपने मन की सुंद
प्रकृति ने अंँधेरी रात में चांँद की आगोश में अपने मन की सुंद
Neerja Sharma
Loading...