🙏🙏 अज्ञानी की कलम 🙏🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
शीर्षक:इक नज़र का सवाल है।
तुम्ही ने दर्द दिया है,तुम्ही दवा देना
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
আজ চারপাশ টা কেমন নিরব হয়ে আছে
देह से देह का मिलन दो को एक नहीं बनाता है
मैं प्यार के सरोवर मे पतवार हो गया।
*मित्र हमारा है व्यापारी (बाल कविता)*
जै जै जै गण पति गण नायक शुभ कर्मों के देव विनायक जै जै जै गण
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मकर संक्रांति पर्व
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
आ गया मौसम सुहाना
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
जन्नतों में सैर करने के आदी हैं हम,