Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 May 2024 · 1 min read

खेत खलियान

खेत खलियान की पगडंडी मेढ हो गई विरान ।
पढ़े लिखे सब हो गए किया शहर को प्रस्थान।।
बचपन में जब तुम आते थे करते थे यहां काम ।
आवाज मै ही देता था जा घर पर हो गई शाम ।।

बहुत थक गए घर चले जाओ कर लो अब आराम।
शहर जाकर भूल गया खेत में मिट्टी का सिहराना।।
मखमली गद्दो पर सोता है बदल लिया आशियाना ।
गांव की आबो हवा भी धीरे-धीरे बदलने लगी पैमाना।।

क्योंकि शहर की लौ भी यहां कुछ जलने लगी है।
प्रकाशित नहीं कर पा रही है ग्रामीण के जहां को।।
तुम बिन यह सारी बगिया भी अब उजड़ने लगी है।
मिट्टी का चूल्हा मिट्टी भरा आंगन भी बदल गया है।।

पतझड़ की बहार ने आंगन को पत्तों से भर दिया है।
धूप छांव का खेल भी यहां कुछ बदलने सा लगा है।।
बनने लगी है गगन चुम्भी इमारतें यहां भी पत्थर की।
कच्चे मकान की ठंडक को खोकर बदलाव किया है।।

कुओं का पानी खत्म होने लगा खत्म हुआ तालाब भी।
मीठा पानी खारा होने लगा बुझाता अब प्यास नहीं है।
बोल भी कसेले हो गए हैं रहा अब वह मिठास नहीं है
दरख़्त काट दिए भारी भरकम होती जहां पंचायत थी।।

Language: Hindi
2 Likes · 19 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from SATPAL CHAUHAN
View all
You may also like:
परिवार के लिए
परिवार के लिए
Dr. Pradeep Kumar Sharma
किताब
किताब
Lalit Singh thakur
पूछो ज़रा दिल से
पूछो ज़रा दिल से
Surinder blackpen
हासिल-ए-ज़िंदगी फ़क़त,
हासिल-ए-ज़िंदगी फ़क़त,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बिखरी बिखरी जुल्फे
बिखरी बिखरी जुल्फे
Khaimsingh Saini
काश तुम मिले ना होते तो ये हाल हमारा ना होता
काश तुम मिले ना होते तो ये हाल हमारा ना होता
Kumar lalit
विजेता
विजेता
Paras Nath Jha
*रामपुर से प्रकाशित हिंदी साप्ताहिक पत्रों से मेरा संबंध*
*रामपुर से प्रकाशित हिंदी साप्ताहिक पत्रों से मेरा संबंध*
Ravi Prakash
यह ज़िंदगी
यह ज़िंदगी
Dr fauzia Naseem shad
नज़्म
नज़्म
Shiva Awasthi
क़ाफ़िया तुकांत -आर
क़ाफ़िया तुकांत -आर
Yogmaya Sharma
पापा के परी
पापा के परी
जय लगन कुमार हैप्पी
लिखते दिल के दर्द को
लिखते दिल के दर्द को
पूर्वार्थ
नादान था मेरा बचपना
नादान था मेरा बचपना
राहुल रायकवार जज़्बाती
अभी दिल भरा नही
अभी दिल भरा नही
Ram Krishan Rastogi
"आज का विचार"
Radhakishan R. Mundhra
आप खास बनो में आम आदमी ही सही
आप खास बनो में आम आदमी ही सही
मानक लाल मनु
3100.*पूर्णिका*
3100.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
योग्यता व लक्ष्य रखने वालों के लिए अवसरों व आजीविका की कोई क
योग्यता व लक्ष्य रखने वालों के लिए अवसरों व आजीविका की कोई क
*Author प्रणय प्रभात*
मंज़िल को पाने के लिए साथ
मंज़िल को पाने के लिए साथ
DrLakshman Jha Parimal
अधीर मन
अधीर मन
manisha
When the destination,
When the destination,
Dhriti Mishra
ईमेल आपके मस्तिष्क की लिंक है और उस मोबाइल की हिस्ट्री आपके
ईमेल आपके मस्तिष्क की लिंक है और उस मोबाइल की हिस्ट्री आपके
Rj Anand Prajapati
प्रेरणा - एक विचार
प्रेरणा - एक विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ज्ञानवान  दुर्जन  लगे, करो  न सङ्ग निवास।
ज्ञानवान दुर्जन लगे, करो न सङ्ग निवास।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
शमशान की राख देखकर मन में एक खयाल आया
शमशान की राख देखकर मन में एक खयाल आया
शेखर सिंह
दिव्य-दोहे
दिव्य-दोहे
Ramswaroop Dinkar
अरे मुंतशिर ! तेरा वजूद तो है ,
अरे मुंतशिर ! तेरा वजूद तो है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
#justareminderdrarunkumarshastri
#justareminderdrarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आज तक इस धरती पर ऐसा कोई आदमी नहीं हुआ , जिसकी उसके समकालीन
आज तक इस धरती पर ऐसा कोई आदमी नहीं हुआ , जिसकी उसके समकालीन
Raju Gajbhiye
Loading...