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8 May 2018 · 1 min read

मुझसे क्या वो कहना चाहें.?

मुझ से क्या वो कहना चाहे.?
************************
इतने दिन जो समझ न पाया
खत ने की भरपाई है,
वो मुझसे क्य कहना चाहे
बात समझ अब आई है।

रोज सबेरे गली से मेरे
आती थी वो जाती थी,
छत के ऊपर खड़ा मुझे वो
देखती और मुस्काती थी।

बात खतों की आई जैसे
दिल ने ली अंगडाई है,
वो मुझसे क्या कहना चाहे
बात समझ अब आई है।

तब तो कोरे कागज हमको
हर दिन ही वो पठाती थी,
रोज गली में मेरे आकर
मुखड़ा मुझे दिखाती थी।

तब कुछ भी न समझ सका
क्यों देख मुझे शरमाई है,
वो मुझसे क्या कहना चाहे
बात समझ अब आई है।

बड़े सलीके से कागज को
मोड़ती और पेठाती थी,
चित्र पीपल के पत्ते सा वो
उस पर एक बनाती थी।

इन पत्तों के अर्थ क्या होंगे
कैसी यह सेवकाई है,
वो मुझसे क्या कहना चाहे
बात समझ अब आई है।
………….✍?✍?
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार….८४५४५५

Language: Hindi
182 Views
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