मुझमें अभी भी प्यास बाकी है ।
मुझमें अभी भी प्यास बाकी है ।
वस्ल की अभी आस बाकी है ।
जिस्म तो भटक के थक चुका है,
पर रूह की तलाश बाकी है ।
✍️ अरविन्द त्रिवेदी
मुझमें अभी भी प्यास बाकी है ।
वस्ल की अभी आस बाकी है ।
जिस्म तो भटक के थक चुका है,
पर रूह की तलाश बाकी है ।
✍️ अरविन्द त्रिवेदी