मुझको मेरा हक दो
–::—मुझको मेरा हक दो–::—
मुझको मेरा हक दो पापा
बहुत कुछ कर दिखलाऊँगी !
लेने दो खुली हवा में सांसे
बेटे से ज्यादा फर्ज निभाऊंगी !!
मुझको मेरा ……………… कर दिखलाऊँगी !!
उड़ने दो मुह्को पतंग के जैसी
आसमान को छुकर आउंगी !!
क्यों डरते हो हैवानी दुनिया से
अकेली सब पर भारी पड़ जाउंगी !!
मुझको मेरा ……………… कर दिखलाऊँगी !!
माना डगर कठिन बहुत है
मंजिल तक फिर भी जाउंगी !
मुझ पर करो भरोस तुम
कभी न दुःख पहुँचाऊँगी !!
मुझको मेरा ……………… कर दिखलाऊँगी !!
करो हौसले मेरे बुलंद तुम,
अधूरे सपने पूरे कर दिखलाऊँगी !
मत आंको कम मेरी ताकत,
संतान का हर फर्ज निभाऊंगी !!
मुझको मेरा ……………… कर दिखलाऊँगी !!
समझा देना मात मेरी को,
जिसने नारी का हर दुःख झेला है
रखे हौसला, अब दिन दूर नही
जब तुम दोनों का सम्मान बढ़ाउंगी !!
मुझको मेरा ……………… कर दिखलाऊँगी !!
आयेगा कभी जो वक़्त बुरा भी,
हर सुख दुःख में साथ निभाऊंगी !
नहीं बनूँगी कमजोर कड़ी मैं,
अपने घर की ताकत बन जाउंगी !!
मुझको मेरा ……………… कर दिखलाऊँगी !!
शान हूँ मैं अपने बाबुल की
कभी न नीचा दिखलाऊँगी !
खेले गर कोई मेरी आन से,
रूप दुर्गा, चंडी का भर जाउंगी !
मुझको मेरा ……………… कर दिखलाऊँगी !!
समाज में फैली विषम भावना
इसको मिटाकर दिखलाऊँगी
बेटे-बेटी में नहीं है कोई फर्क
दुनिया में साबित कर जाऊँगी !!
मुझको मेरा ……………… कर दिखलाऊँगी !!
मुझको मेरा हक दो पापा
बहुत कुछ कर दिखलाऊँगी
लेने दो खुली हवा में सांसे
बेटे से ज्यादा फर्ज निभाऊंगी !!
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रचनाकार ::—– डी. के. निवातियाँ —