मुझको कुर्सी तक पहुंचा दे
सुन रे ललुआ सुन रे कलुआ
अपनी सारी जुगत बैठा दे
मुझको कुर्सी तक पहुंचा दे
अब की बाजी निकल ना जाए
एक बार सरकार बना दे
सारे हथकंडे अपना ले
गुंडे मुस्तंडे बुलवाले
चाहे जो करना पड़ जाए
चल ऐसा माहौल बना दे
वर्षों से मैं तड़प रहा हूं
सत्ता सुंदरी से मिलबादे
जोड़-तोड़ का गणित बिठा दे
चोर ढोर सब दल मिलवा दे
नया मोर्चा एक बना दे
धन्ना सेठों से चंदा ले
नंबर दो का धन लगवा दे
हो जाएं मदहोश सभी दारू की नदियां वहवादे
अबकी बाजी निकल ना जाए
अपनी सारी जुगत बिठा दे
हिंदू मुस्लिम राइड करा दे
अगड़े पिछड़ों को लड़वादे
आपस में ऐसा भड़का दे
जात-पात और ऊंच-नीच का
ऐसा गहरा भेद बढ़ा दे
देश की मिलकर कोई न सोचें
जनता में अलगाव करा दे
बोली भाषा और अंचल के
मुद्दे फिर से गरमा दे
जलवा दे कुछ झौपडपटी
महल अटारी जलबादे
बलबा करबादे बिना बात
कुछ मुद्दे नए बना दे
मुलला से फतबा दिलबा दे
संत पुजारी भड़का दे
बच न पाए कोई तबका
सबको आपस में बटबा दे
कट जाएं सब बोट बिपक्षी
मेरी झोली में डलबा दे
कोई भी मिलकर एक न होवे
गर्म हवा ऐसी फैला दें
फिरको में बट जाएं सभी
ऐसी भीषण आग लगा दे
बस मुझको कुर्सी तक पहुंचा दे
सुन रे ललुआ सुन रे कलुआ
अपनी सारी जुगत बैठा दे
बस एक बार सरकार बना दे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी