मुक्त्तक
मुक्त्तक
तुझको है मुझे रंग लगाना, गली में तेरी आऊंगा।
नखरे वखरे मत करना तू ,काया तेरी रंग जाऊंगा ।।
बदन यह तेरा संगमरमर सा _
चम चम चम चम चमक रहा।
रंग प्रीत का लेकर सजनी, संग तेरे रंग जाऊंगा।।
कवि _ राजेश व्यास अनुनय
मुक्त्तक
तुझको है मुझे रंग लगाना, गली में तेरी आऊंगा।
नखरे वखरे मत करना तू ,काया तेरी रंग जाऊंगा ।।
बदन यह तेरा संगमरमर सा _
चम चम चम चम चमक रहा।
रंग प्रीत का लेकर सजनी, संग तेरे रंग जाऊंगा।।
कवि _ राजेश व्यास अनुनय