“मुक्तिपथ”
“मुक्तिपथ”
जो बीत गया सो बीत गया
अब तो आँखें खोलो,
पत्थर की कोई मूरत नहीं हो
अपनी जुबां से बोलो।
भगवान भरोसे कब तक बैठोगे
होगा न कभी उद्धार,
अब भी वक्त है तेरे पास
अपना भविष्य सुधार।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“मुक्तिपथ”
जो बीत गया सो बीत गया
अब तो आँखें खोलो,
पत्थर की कोई मूरत नहीं हो
अपनी जुबां से बोलो।
भगवान भरोसे कब तक बैठोगे
होगा न कभी उद्धार,
अब भी वक्त है तेरे पास
अपना भविष्य सुधार।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति