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4 Jan 2017 · 1 min read

मुक्तक

ज्ञान पिपासा भोले पंछी चुग चुगके सब पान लिया
आत्मसात करके हृदय में पीड़ा को जैसे जान लिया
अक्षर अक्षर में बिंधी पीर थी पंछी ये न जान सके
करूण सुरो में भीगा कलरव पंछी ने दुख ज्ञान लिया।

कोकिला

Language: Hindi
2 Likes · 278 Views
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