मुक्तक
ज्ञान पिपासा भोले पंछी चुग चुगके सब पान लिया
आत्मसात करके हृदय में पीड़ा को जैसे जान लिया
अक्षर अक्षर में बिंधी पीर थी पंछी ये न जान सके
करूण सुरो में भीगा कलरव पंछी ने दुख ज्ञान लिया।
कोकिला
ज्ञान पिपासा भोले पंछी चुग चुगके सब पान लिया
आत्मसात करके हृदय में पीड़ा को जैसे जान लिया
अक्षर अक्षर में बिंधी पीर थी पंछी ये न जान सके
करूण सुरो में भीगा कलरव पंछी ने दुख ज्ञान लिया।
कोकिला