मुक्तक
” भले ही फेरिये माला सुबह से शाम तक लेकिन,
न जब तक नाम लें दिल से तो नही वो जाप होता है,
कभी अभिशाप भी होता किसी वरदान के जैसा,
कभी वरदान भी कोई कि ज्यों अभिशाप होता है “
” भले ही फेरिये माला सुबह से शाम तक लेकिन,
न जब तक नाम लें दिल से तो नही वो जाप होता है,
कभी अभिशाप भी होता किसी वरदान के जैसा,
कभी वरदान भी कोई कि ज्यों अभिशाप होता है “