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19 Dec 2018 · 1 min read

मुक्तक

चार मिसरे माँ के चरणों में समर्पित

रिश्तों ने जब भी छोड़ दिया रूठ कर मुझे
माँ ने दिया है आसरा हर राह पर मुझे

“प्रीतम” जो बारिशें हों ग़मों की ये जीस्त में
मिलता है माँ की गोद में ही फिर तो घर मुझे

प्रीतम राठौर भिनगाई
. श्रावस्ती (उ०प्र०)

Language: Hindi
376 Views
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