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7 May 2023 · 1 min read

2292.पूर्णिका

2292.पूर्णिका
अपनों से ही दूर हुए

हम कितने मजबूर हुए ।
अपनों से ही दूर हुए ।।
किसका देखें कोई अब ।
अरमाँ चकनाचूर हुए ।।
काम यहाँ धाम यहाँ है ।
फिर भी दिल बेनूर हुए ।।
हँसे कैसे बस रोना ।
इंसां कितने क्रूर हुए ।।
इंसानियत कहाँ खेदू ।
दुनिया देखो चूर हुए ।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
7-5-2023रविवार

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