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18 Jan 2018 · 1 min read

मुक्तक

‪छप्पन इंची छाती वाले ख़ून के आँसू रोए होते,‬
‪अब तक बदला ले लेते, ना सत्तामद में खोए होते।‬
‪होता ये एहसास तुम्हें भी, दर्द मौत का क्या होता है,‬
‪गर तुम भी बूढ़े कंधों पर, शव बेटे का ढोए होते।।‬
‪-विपिन शर्मा ‬

Language: Hindi
329 Views
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