मुक्तक
निशाने पर सदा बिजली के रहता आशियाना है,
ख़ुशी की ख़ुदकुशी का भी निशां दिल में पुराना है।
खरीदा हसरतों को बेच कर ख्वाबों की कीमत पर,
हमारे पास बस यारों, मुहब्बत का खज़ाना है।
दीपशिखा सागर-
निशाने पर सदा बिजली के रहता आशियाना है,
ख़ुशी की ख़ुदकुशी का भी निशां दिल में पुराना है।
खरीदा हसरतों को बेच कर ख्वाबों की कीमत पर,
हमारे पास बस यारों, मुहब्बत का खज़ाना है।
दीपशिखा सागर-