Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jan 2023 · 1 min read

मुक्तक

इक आह भरूंगा मै,कुछ भी ना कहूंगा में
जब सामने तू होगी,तुझे देखा करूंगा में
तेरी याद जो आएगी,मुझे खूब सताएगी
हर पल हर लम्हा मै, तेरी राह तकूंगा में

Language: Hindi
262 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
21-- 🌸 और वह? 🌸
21-- 🌸 और वह? 🌸
Mahima shukla
Midnight success
Midnight success
Bidyadhar Mantry
ज़िन्दगी - दीपक नीलपदम्
ज़िन्दगी - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
यादों से कह दो न छेड़ें हमें
यादों से कह दो न छेड़ें हमें
sushil sarna
फूल या कांटे
फूल या कांटे
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
Lambi khamoshiyo ke bad ,
Lambi khamoshiyo ke bad ,
Sakshi Tripathi
"दण्डकारण्य"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल की नक़ल नहीं है तेवरी + रमेशराज
ग़ज़ल की नक़ल नहीं है तेवरी + रमेशराज
कवि रमेशराज
आओ दीप जलायें
आओ दीप जलायें
डॉ. शिव लहरी
मोहब्बत में कौन अपना होगा और कौन पराया,
मोहब्बत में कौन अपना होगा और कौन पराया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नवगीत - बुधनी
नवगीत - बुधनी
Mahendra Narayan
किसी के सम्मान या
किसी के सम्मान या
*प्रणय प्रभात*
भारत का अतीत
भारत का अतीत
Anup kanheri
हद से ज्यादा बढी आज दीवानगी।
हद से ज्यादा बढी आज दीवानगी।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
कभी कभी जिंदगी
कभी कभी जिंदगी
Mamta Rani
विकट जंग के मुहाने पर आज बैठी है ये दुनिया
विकट जंग के मुहाने पर आज बैठी है ये दुनिया
इंजी. संजय श्रीवास्तव
4123.💐 *पूर्णिका* 💐
4123.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
కృష్ణా కృష్ణా నీవే సర్వము
కృష్ణా కృష్ణా నీవే సర్వము
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
# खरी बातें
# खरी बातें
DrLakshman Jha Parimal
International Hindi Day
International Hindi Day
Tushar Jagawat
ईश्वर
ईश्वर
Neeraj Agarwal
यादें
यादें
Tarkeshwari 'sudhi'
मोहब्बत कि बाते
मोहब्बत कि बाते
Rituraj shivem verma
कुछ खास दिलों को
कुछ खास दिलों को
shabina. Naaz
अक्षर ज्ञान नहीं है बल्कि उस अक्षर का को सही जगह पर उपयोग कर
अक्षर ज्ञान नहीं है बल्कि उस अक्षर का को सही जगह पर उपयोग कर
Rj Anand Prajapati
ग़़ज़ल
ग़़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो..
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो..
कवि दीपक बवेजा
" *लम्हों में सिमटी जिंदगी* ""
सुनीलानंद महंत
!..............!
!..............!
शेखर सिंह
Loading...