मुक्तक
1
आंसुओं की भी होती है अपनी जुबां
बहते हैं तो दिल की गहराइयों तक
संवेदनाओं का एक ज्वार – भाटा सा
स्वयं ही एहसास जगा देता है
2
एक लम्हा ख़ुशी से
लबालब जिन्दगी
खुशियों का समंदर रोशन कर
जिन्दगी को और भी हसीं बना देती है
3
समय की रेखा पर बदलती नारी
कुंठा के पिंजरे से बाहर आ
स्वयं को हौसलों और उम्मीदों से पोषित कर
बिखेरने लगी है जीवन में खुशियाँ
4
उम्मीदों की सतरंगी किरणें
हौसला ज़माने को बदल देने का
और इरादा आसमां छू लेने का
काफी है खुला आसमां पाने के लिए