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17 Sep 2020 · 1 min read

मुक्तक

गिरे हुए लोग क्या किसी को उठाएंगे
वो तो ओछी मानसिकता ही दिखाएंगे।
विरासत में मिली हैं जो बिसंगतियां
तो कहाँ से अच्छे संस्कार ला पाएंगे।
-अजय प्रसाद

फना होने के एहसास से डरता है
वो अपने आस-पास से डरता है।
पहले अपनी हस्ती से डरता था
अब आम और खास से डरता है ।
-अजय प्रसाद

जल गई है रस्सी मगर एँठन नहीं गया
दिल से अभी तक वो बहम नहीं गया।
रौनक तो रूठ के महफिल से जा चुकी
झूठे दिखावे का यारों अदब नहीं गया ।
-अजय प्रसाद

Language: Hindi
1 Like · 213 Views
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