नेह
गंध मादक दे रही प्रिय रातरानी नेह में।
लग रही ज्यों घोलती रति गंध चंदन देह में।
चाँदनी बरसे गगन से राग कितने झर रहे –
पूर्ण जग को भूल जाऊँ नाथ तेरे गेह में।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली
गंध मादक दे रही प्रिय रातरानी नेह में।
लग रही ज्यों घोलती रति गंध चंदन देह में।
चाँदनी बरसे गगन से राग कितने झर रहे –
पूर्ण जग को भूल जाऊँ नाथ तेरे गेह में।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली