मुक्तक
अक्सर दिलों में पुर्दिल, शैतान चुपके से सोता है
देख के दूसरों का दुख, मन ही मन वो हंसता है।
हस लो तुम अब जी भर के, दर्द न अब होता है
जिंदगी से बेज़ार रुह ये मेरा, अब घर बदलता है !
…सिद्धार्थ
अक्सर दिलों में पुर्दिल, शैतान चुपके से सोता है
देख के दूसरों का दुख, मन ही मन वो हंसता है।
हस लो तुम अब जी भर के, दर्द न अब होता है
जिंदगी से बेज़ार रुह ये मेरा, अब घर बदलता है !
…सिद्धार्थ