Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Mar 2019 · 1 min read

मुक्तक

अब नहीं तुलसी कबीरा ना यहाँ रसखान है,
भेड़िये की खाल को ओढ़े हुए इंसान हैं,
शूल बिकते हैं यहाँ अब फूल की दूकान पर,
धूल की परतों में अब तो ज्ञान की पहचान है

Language: Hindi
1 Like · 181 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भूख से लोग
भूख से लोग
Dr fauzia Naseem shad
जो लिखा नहीं.....लिखने की कोशिश में हूँ...
जो लिखा नहीं.....लिखने की कोशिश में हूँ...
Vishal babu (vishu)
ओढ़े  के  भा  पहिने  के, तनिका ना सहूर बा।
ओढ़े के भा पहिने के, तनिका ना सहूर बा।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
प्यार के
प्यार के
हिमांशु Kulshrestha
■सीखने योग्य■
■सीखने योग्य■
*Author प्रणय प्रभात*
रख लेना तुम सम्भाल कर
रख लेना तुम सम्भाल कर
Pramila sultan
*हनुमान जी*
*हनुमान जी*
Shashi kala vyas
एक तो गोरे-गोरे हाथ,
एक तो गोरे-गोरे हाथ,
SURYA PRAKASH SHARMA
एक एक ख्वाहिशें आँख से
एक एक ख्वाहिशें आँख से
Namrata Sona
फितरत
फितरत
Mukesh Kumar Sonkar
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
You relax on a plane, even though you don't know the pilot.
You relax on a plane, even though you don't know the pilot.
पूर्वार्थ
सच तो तस्वीर,
सच तो तस्वीर,
Neeraj Agarwal
फांसी का फंदा भी कम ना था,
फांसी का फंदा भी कम ना था,
Rahul Singh
आओ सर्दी की बाहों में खो जाएं
आओ सर्दी की बाहों में खो जाएं
नूरफातिमा खातून नूरी
2824. *पूर्णिका*
2824. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कजरी (वर्षा-गीत)
कजरी (वर्षा-गीत)
Shekhar Chandra Mitra
" तार हूं मैं "
Dr Meenu Poonia
*जिंदगी-नौका बिना पतवार है ( हिंदी गजल/गीतिका )*
*जिंदगी-नौका बिना पतवार है ( हिंदी गजल/गीतिका )*
Ravi Prakash
विनम्रता
विनम्रता
Bodhisatva kastooriya
शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह
भारत हमारा
भारत हमारा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सुनो बुद्ध की देशना, गुनो कथ्य का सार।
सुनो बुद्ध की देशना, गुनो कथ्य का सार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
चंडीगढ़ का रॉक गार्डेन
चंडीगढ़ का रॉक गार्डेन
Satish Srijan
💐प्रेम कौतुक-348💐
💐प्रेम कौतुक-348💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
चुन्नी सरकी लाज की,
चुन्नी सरकी लाज की,
sushil sarna
होता अगर मैं एक शातिर
होता अगर मैं एक शातिर
gurudeenverma198
गर समझते हो अपने स्वदेश को अपना घर
गर समझते हो अपने स्वदेश को अपना घर
ओनिका सेतिया 'अनु '
"इशारे" कविता
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
Humiliation
Humiliation
AJAY AMITABH SUMAN
Loading...