मुक्तक – सावन कजरी
आईं सखियाँ गाये कजरी।
बिजुरिया मोती सी चमकी।
पिया ठाड़े दूरहि मुस्काये,
भीजी चुनरिया तनहिं लिपटी।।.
******
मेंहदी रची सखी हँसती।
देखि पिया महकी कहती।
दौड़े आये झूला झूले,
देखि कहती लहकी बहकी ।।.
सज्जो चतुर्वेदी
आईं सखियाँ गाये कजरी।
बिजुरिया मोती सी चमकी।
पिया ठाड़े दूरहि मुस्काये,
भीजी चुनरिया तनहिं लिपटी।।.
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मेंहदी रची सखी हँसती।
देखि पिया महकी कहती।
दौड़े आये झूला झूले,
देखि कहती लहकी बहकी ।।.
सज्जो चतुर्वेदी