मुक़म्मल तो नहीं कोई बड़ा नादान समझे जो
मुक़म्मल तो नहीं कोई बड़ा नादान समझे जो
सिखाता वक़्त हरपल है करे वो मान समझे जो
आर. एस. ‘प्रीतम’
शब्दार्थ- मुक़म्मल- संपूर्ण, मान- इज़्ज़त
मुक़म्मल तो नहीं कोई बड़ा नादान समझे जो
सिखाता वक़्त हरपल है करे वो मान समझे जो
आर. एस. ‘प्रीतम’
शब्दार्थ- मुक़म्मल- संपूर्ण, मान- इज़्ज़त