*मीठे बोल*
कैसे कैसे लोग यहाँ, देखें हम जहाँ-तहाँ
मात्र इक फ़ोटो देख, प्यार करने लगे|
जीवन की रेल चले, नित नये लोग मिलें
बोल लें ज़रा-सा भी तो प्रेम झरने लगे|
दिन-रात गुण गायें, चाँद-तारे तोड़ लायें
जाने कैसे-कैसे जी वो दम भरने लगे|
फूँक-फूँक डग भरूँ, सोच-सोच बात करूँ
हाय!मीठा बोलने से जिया डरने लगे|