#ग़ज़ल-25
वज़्न-222-122-222-212-22
मीठे बोल लब पर दिल में बंदूक रखता है
खाली हाथ दिखता है पर चाबूक रखता है/1
वो ईमानदारी की बातें सब सुनाता है
धन के भर घरों में जो भी संदूक रखता है/2
कहता है वफ़ा करना छोडो़ यार तड़फोगे
खुद अपनी बग़ल में दो-दो मासूक रखता है/3
भूखे को भगा देता है ठोकर लगाकर वो
हमदर्दी न दिल में यारो दो टूक रखता है/4
प्रीतम तू दवा देता आया चाह की सबको
दिल में प्यार की बोकर इक मालूक रखता है/5
-आर.एस.’प्रीतम’
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