”मिल कर तुम्हें बताऊंगा”
कविता -08
दूर हो कर तुमसे , दिल का क्या हाल हुआ मिल कर तुम्हें बताऊंगा ।
काटी हैं रातें तुम बिन कैसे ,हर रात की तन्हाई बताऊंगा ।
जख्म कितने है सीने मे ,हर जख्म की गहराई बताऊंगा ।
तुम मुझसे दूर नहीं, मैं भी तुमसे दूर नहीं, साथ नहीं हैं पर,
तुम मेरी धड़कन में बसी हो , ये एहसास भी बताऊंगा ।
और करनी है कितनी बातें खूबसूरत ख्वाबो वाली , मिल कर तुम्हें बताऊंगा ।
जज्बात तुम , ख्वाब तुम ,एहसास तुम ,मेरी जान भी हो तुम,
मिल कर सब कुछ तुम्हें बताऊंगा।
दूर हो कर तुमसे दिल का क्या हाल हुआ मिल कर तुम्हें बताऊंगा।