*मिले हमें गुरुदेव खुशी का, स्वर्णिम दिन कहलाया 【हिंदी गजल/ग
मिले हमें गुरुदेव खुशी का, स्वर्णिम दिन कहलाया 【हिंदी गजल/गीतिका】
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(1)
मिले हमें गुरुदेव खुशी का, स्वर्णिम दिन कहलाया
सदा – सर्वदा साथ तुम्हारे, हूँ मैं यह बतलाया
(2)
पैसों से खुशियाँ लेने की, अब कब दौड़ लगाते
जब भी खोजा आत्म-तत्व को, अपने भीतर पाया
(3)
बड़ी सरलता से ईश्वर अब, मिल जाता है हमको
बिना एक पैसा खर्चे के, जब भी ध्यान लगाया
(4)
कला सीख ली जीवन की, हमने सुख में यों डूबे
दृश्य वही है दृष्टिकोण ने, किंचित कब भटकाया
(5)
दुख ने जब कुंडी खटकाकर, घर में आना चाहा
दुख को दे मुस्कान बड़ी, दरवाजे से लौटाया
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451