Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2023 · 1 min read

*मिले हमें गुरुदेव खुशी का, स्वर्णिम दिन कहलाया 【हिंदी गजल/ग

मिले हमें गुरुदेव खुशी का, स्वर्णिम दिन कहलाया 【हिंदी गजल/गीतिका】
■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
मिले हमें गुरुदेव खुशी का, स्वर्णिम दिन कहलाया
सदा – सर्वदा साथ तुम्हारे, हूँ मैं यह बतलाया
(2)
पैसों से खुशियाँ लेने की, अब कब दौड़ लगाते
जब भी खोजा आत्म-तत्व को, अपने भीतर पाया
(3)
बड़ी सरलता से ईश्वर अब, मिल जाता है हमको
बिना एक पैसा खर्चे के, जब भी ध्यान लगाया
(4)
कला सीख ली जीवन की, हमने सुख में यों डूबे
दृश्य वही है दृष्टिकोण ने, किंचित कब भटकाया
(5)
दुख ने जब कुंडी खटकाकर, घर में आना चाहा
दुख को दे मुस्कान बड़ी, दरवाजे से लौटाया
—————————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

604 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

खूबसूरत धरा बना देंगे
खूबसूरत धरा बना देंगे
Dr Archana Gupta
🙅in world🙅
🙅in world🙅
*प्रणय*
चलो गांव को चले
चलो गांव को चले
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
लम्बी लम्बी श्वासें
लम्बी लम्बी श्वासें
Minal Aggarwal
आतंक, आत्मा और बलिदान
आतंक, आत्मा और बलिदान
Suryakant Dwivedi
वो अनुराग अनमोल एहसास
वो अनुराग अनमोल एहसास
Seema gupta,Alwar
मौलिक विचार
मौलिक विचार
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
नाचणिया स नाच रया, नचावै नटवर नाथ ।
नाचणिया स नाच रया, नचावै नटवर नाथ ।
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
कभी चाँद को देखा तो कभी आपको देखा
कभी चाँद को देखा तो कभी आपको देखा
VINOD CHAUHAN
सात समंदर से ज़्यादा स्याही जो ख़ुद में समाए हो,
सात समंदर से ज़्यादा स्याही जो ख़ुद में समाए हो,
ओसमणी साहू 'ओश'
वो_घर
वो_घर
पूर्वार्थ
वो अपने दर्द अपनी पीड़ा में ही उलझे रहे
वो अपने दर्द अपनी पीड़ा में ही उलझे रहे
Sonam Puneet Dubey
पूरा सभ्य समाज
पूरा सभ्य समाज
RAMESH SHARMA
ग़ज़ल __बुलबुलें खुश बहार आने से ।
ग़ज़ल __बुलबुलें खुश बहार आने से ।
Neelofar Khan
यह जो आँखों में दिख रहा है
यह जो आँखों में दिख रहा है
डॉ. दीपक बवेजा
हाइकु - डी के निवातिया
हाइकु - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
पग पग दीप करे उजियारा।
पग पग दीप करे उजियारा।
अनुराग दीक्षित
मंजिल और कीमत
मंजिल और कीमत
Ragini Kumari
" किताब "
Dr. Kishan tandon kranti
जय श्री राम।
जय श्री राम।
Anil Mishra Prahari
परिदृश्य
परिदृश्य
Vivek Pandey
sp145 काव्य जगत के
sp145 काव्य जगत के
Manoj Shrivastava
*मेरा आसमां*
*मेरा आसमां*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
2843.*पूर्णिका*
2843.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कहो तो..........
कहो तो..........
Ghanshyam Poddar
कुछ लोग बात को यूॅं ही बतंगड़ बनाते हैं!
कुछ लोग बात को यूॅं ही बतंगड़ बनाते हैं!
Ajit Kumar "Karn"
वो प्यासा इक पनघट देखा..!!
वो प्यासा इक पनघट देखा..!!
पंकज परिंदा
थोड़ा सा ठहर जाओ तुम
थोड़ा सा ठहर जाओ तुम
शशि कांत श्रीवास्तव
सकारात्मक सोच
सकारात्मक सोच
Dr fauzia Naseem shad
ये इश्क़ है हमनफ़स!
ये इश्क़ है हमनफ़स!
Shreedhar
Loading...