Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jul 2021 · 1 min read

मिलन

देखो…..
तुम चले आना..
थोड़ा सा समय निकालकर
बहुत सी बातों को बाँटना हैं तुमसे
और बहुत सी यादों को
सहेजकर रखना है
तुम्हें याद है न
जब हम पहली बार मिले थे..
तुम्हारी आँखों में
एक नूर उतर आया था
चेहरे पर सिमट आई लाली से
सुबह के सूरज की
कल्पना सी हो आई थी
तुम्हारे अधरों के लरजते कंपन ने
वीणा के झंकृत होते तारों को भी
हतप्रभ कर दिया था
और हमारे मिलन की वो प्रथम बेला
कभी न भूलने वाली
एक याद जो बन गई थी
हमारी मुस्कराहटें
और विस्तृत हो जाती हैं
जब अनायास ही
आपके नाम की हवाएँ
होठों से टकरा जाती हैं
मई की गर्म लूएँ भी
सावन की फुहारों में बदल जाती हैं
सुनो… अब समय को और
बरबाद न करना
मुलाकात का वक्त
जल्दी मुकम्मल करना
क्योंकि….
बहुत सी बातों को बाँटना हैं तुमसे
और बहुत सी यादों को
सहेजकर रखना है…..
सोनू हंस✍✍✍

Language: Hindi
410 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दूरियों में नजर आयी थी दुनियां बड़ी हसीन..
दूरियों में नजर आयी थी दुनियां बड़ी हसीन..
'अशांत' शेखर
स्वास विहीन हो जाऊं
स्वास विहीन हो जाऊं
Ravi Ghayal
आप जितने सकारात्मक सोचेंगे,
आप जितने सकारात्मक सोचेंगे,
Sidhartha Mishra
जागे जग में लोक संवेदना
जागे जग में लोक संवेदना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद
मनोज कर्ण
नाजुक देह में ज्वाला पनपे
नाजुक देह में ज्वाला पनपे
कवि दीपक बवेजा
भारत के वीर जवान
भारत के वीर जवान
Mukesh Kumar Sonkar
🙅दद्दू कहिन🙅
🙅दद्दू कहिन🙅
*Author प्रणय प्रभात*
प्रेम की बंसी बजे
प्रेम की बंसी बजे
DrLakshman Jha Parimal
2908.*पूर्णिका*
2908.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तन प्रसन्न - व्यायाम से
तन प्रसन्न - व्यायाम से
Sanjay ' शून्य'
बगावत की बात
बगावत की बात
AJAY PRASAD
संज्ञा
संज्ञा
पंकज कुमार कर्ण
जब तू रूठ जाता है
जब तू रूठ जाता है
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
वो ख़्वाहिशें जो सदियों तक, ज़हन में पलती हैं, अब शब्द बनकर, बस पन्नों पर बिखरा करती हैं।
वो ख़्वाहिशें जो सदियों तक, ज़हन में पलती हैं, अब शब्द बनकर, बस पन्नों पर बिखरा करती हैं।
Manisha Manjari
महादेव ने समुद्र मंथन में निकले विष
महादेव ने समुद्र मंथन में निकले विष
Dr.Rashmi Mishra
माँ काली साक्षात
माँ काली साक्षात
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
रमेशराज की बच्चा विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की बच्चा विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
कुछ तो मेरी वफ़ा का
कुछ तो मेरी वफ़ा का
Dr fauzia Naseem shad
_______ सुविचार ________
_______ सुविचार ________
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
*।। मित्रता और सुदामा की दरिद्रता।।*
*।। मित्रता और सुदामा की दरिद्रता।।*
Radhakishan R. Mundhra
चूल्हे की रोटी
चूल्हे की रोटी
प्रीतम श्रावस्तवी
नया साल
नया साल
umesh mehra
कवि सम्मेलन में जुटे, मच्छर पूरी रात (हास्य कुंडलिया)
कवि सम्मेलन में जुटे, मच्छर पूरी रात (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
इसी से सद्आत्मिक -आनंदमय आकर्ष हूँ
इसी से सद्आत्मिक -आनंदमय आकर्ष हूँ
Pt. Brajesh Kumar Nayak
आलता महावर
आलता महावर
Pakhi Jain
पसरी यों तनहाई है
पसरी यों तनहाई है
Dr. Sunita Singh
जय भोलेनाथ ।
जय भोलेनाथ ।
Anil Mishra Prahari
" मेरे जीवन का राज है राज "
Dr Meenu Poonia
कीमत
कीमत
Ashwani Kumar Jaiswal
Loading...