मिलना सीखो शौक़ से
मिलना सीखो शौक़ से,भूलो मत औक़ात।
नमक मिले जब चून में,चले स्वाद की बात।।
इन्द्रधनुष देखो बना,रंगों का व्यवहार।
ख़बरें मिलके दें सज़ा,कागज़ का अख़बार।
बादल बन करते रहो,उल्फ़त की बरसात।
नमक मिले जब चून में,चले स्वाद की बात।।
खुद को समझोगे बड़ा,छूटेगा हर साथ।
प्यार गया तो सब गया,खाली होगा हाथ।
रहे अकेले हार के,बैचेनी दिन-रात।
नमक मिले जब चून में,चले स्वाद की बात।।
इक-दूजे का मेल ही,भरता है उन्माद।
सोना-चाँदी ढ़ेर हैं,नहीं अगर दिल शाद।
छोड़ो इस अभिमान को,रखो प्यार ज़ज्बात।
नमक मिले जब चून में,चले स्वाद की बात।।
प्रीतम तम से तम मिले,तम ही रहता जीत।
जो मिलता प्रकाश खिला,तम हारे तब मीत।
कीचड़ में खिलते रहे,हँसके ही जलजात।
नमक मिले जब चून में,चले स्वाद की बात।।
मिलना सीखो शौक़ से,भूलो मत औक़ात।
नमक मिले जब चून में,चले स्वाद की बात।।
–आर.एस.प्रीतम
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