मिर्जा पंडित
मिर्जा पंडित नाम था उसका,
मेरा प्यारा मित्र,
जितना प्यारा नाम मिला था,
वैसा रहा चरित्र।
मेरे संग लाइब्रेरी जाता,
संग मेरे वह नोट्स बनाता,
सायंकाल को,
मेरे संग ही,
मंदिर जाता ,
शीश नवाता,
उसका मन था,
जैसे पानी,
उसमे मिल
जाती है चीनी,
उसमें घुल जाता है,
हर रंग,
उसमें बस जाती हर बात ।
मिर्जा पंडित का,
वह साथ,
हरदम रहता,मुझको याद।