“मियाद”
“मियाद”
प्यार के अहसास को कोई समझता ना हो,
ऐसी बात तो फकत अपवाद होती है।
इक नज़र मिलते ही वो धीरे से मुस्कुराए,
कुछ रिश्तों की बस इतनी ही मियाद होती है।
“मियाद”
प्यार के अहसास को कोई समझता ना हो,
ऐसी बात तो फकत अपवाद होती है।
इक नज़र मिलते ही वो धीरे से मुस्कुराए,
कुछ रिश्तों की बस इतनी ही मियाद होती है।