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11 Feb 2023 · 1 min read

मिथिला धरती।

मिथिला धरती।
-आचार्य रामानंद मंडल।

मिथिला रहे पून्य के धरती।
भरल रहे संत आ तपसी।१।

मिथिला रहे ज्ञान के धरती।
भरल रहे रिसी आ ज्ञानी।२।

मिथिला रहे राजा आ रानी।
भरल रहे कवि आ दरबारी।३।

मिथिला रहे राज दरबार अंहकारी।
भरल रहे माछ भात खनिहारी।४।

मिथिला रहे प्रजा दीन अज्ञानी।
भरल रहे प्रजा बन नौकरानी।५।

मिथिला रहे उच्च -नीच के धरती।
भरल रहे सम्मान -अपमान के करनी।६।

मिथिला रहे बाभन-सोलकन के धरती।
भरल रहे शोसक -शोसित से धरती।७।

मिथिला रहे सीता के धरती।
भरल रहे उगना चाकर से धरती।८।

मिथिला रहे सनातन कुल धरमी।
रामा भरल रहे शोसक अधरमी।९।

स्वरचित @सर्वाधिकार रचनाकाराधीन।

रचनाकार -आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।

Language: Maithili
242 Views

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