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14 May 2024 · 1 min read

चाह यही है कवि बन जाऊं।

चाह मेरी है कवि बन जाऊं।
भारत मां के चरणों में नित शब्दों की माला पहनाऊं।।
देश भक्ति का राग लिखूं मैं।
कजरी चैता फाग लिखूं मैं।।
दुश्मन की आहट सुन तेगा
बना कलम को आग लिखूं मैं।।
चाह यही मां के चरणों में हँसकर अपना शीश चढ़ाऊं।
नित भारत की शान लिखूं मैं।
बढ़े देश का मान लिखूं मैं।।
सीमा पर जो खड़े निरंतर ।
सैनिक का सम्मान लिखूं मैं।।
चाह मेरी गर पड़े जरूरत कलम छोड़ बंदूक उठाऊं।
जन जन की आवाज बनूं मैं।
जीवन का हमराज बनूं मैं।।
अश्रु पोंछ उनकी आंखों से ।
नई किरण अंदाज बनूं मैं।।
चाह यही हो तिमिर दूर उनके जीवन में रवि बन जाऊं।

Language: Hindi
17 Views
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