मिथिला कियेऽ बदहाल भेल…
मिथिला कियेऽ बदहाल भेल…
जे छल मिथिला के अगुआ नेता,
ओ तऽ साजिशक शिकार भेल।
बाकी सभटा पिछलग्गू नेता,
नाँगरि दबाकऽ घुमैय लेल…
मिथिला कियेऽ बदहाल भेल…
ललित बाबू क’अहां याद करु ने,
मिथिला क ओ प्राण छलैथ।
हुनक काज आ कर्मठता में,
टाल-मटोल कहियौ नञ भेल…
मिथिला कियेऽ बदहाल भेल…
रहिता ओ यदि जीवित एखनधरि,
करिता सभकिछु अवाम क’ लेल।
कोशी-कमला शोक नञ देतनि,
गिरहथ क’ रहतैय धन-धान्य अलेल।
मिथिला कियेऽ बदहाल भेल…
मुरुख लोक भेल आजु के नेता,
पढ़ल लिखल पए चमचागिरी केल।
ग्रीवा में लटकौने गमछा एकटा,
जाति-धरम के करैत अछि खेल।
मिथिला कियेऽ बदहाल भेल…
उठू जन मिथिला जागू दौड़ू ,
सहन आबि नञ होइया गेल।
टुकूरटुकूर तकैत अइ जनता,
विकसित राज्य मिथिला के लेल…
मिथिला कियेऽ बदहाल भेल…
मौलिक एवम स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – २ ९/०९/२०२४ ,
आश्विन कृष्ण पक्ष,द्वादशी ,रविवार
विक्रम संवत २०८१
मोबाइल न. – 8757227201
ई-मेल – mk65ktr@gmail.com