मित्रता-दिवस
जीवन का पथ हो सरल,
न आये दुःख की शाम।
सुग्रीव से विनीत बनें हम,
और मित्र मिलें श्रीराम।।
कष्ट – क्लेश मिट जायें,
मन प्रभु-चरणनं जोड़।
सखा कान्हा से पा जायें,
जो थाम लें जीवन-डोर।।
जीवन के सुख-दुःख में,
ईश नाम सुमिरते जायें।
मित्र प्रभु सा पायें सभी,
कंचन की शुभकामनाएँ।।
रचनाकार- कंचन खन्ना, मुरादाबाद,
(उ०प्र०, भारत) ।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार) ।
दिनांक- ०५/०८/२०१८.