“मिजाज”
मिटते जा रहे निशां
मेरे कदमों के
कोई उस पर चल रहा है,
लगता है मिजाज
मौसम का बदल रहा है।
(प्रकाशित काव्य-कृति :
‘तस्वीर बदल रही है’ से कुछ अंश…।
डॉ.किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
मिटते जा रहे निशां
मेरे कदमों के
कोई उस पर चल रहा है,
लगता है मिजाज
मौसम का बदल रहा है।
(प्रकाशित काव्य-कृति :
‘तस्वीर बदल रही है’ से कुछ अंश…।
डॉ.किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति