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17 May 2021 · 1 min read

माफ़ी

इससे पहले की मैं उलझ जाऊं तुम सुलझा लेना ,
न नयन भीगें न मन इससे पहले तुम मुझको समझ लेना |

मैं परिंदा रहा हूँ इस बियाबाँ का
मेरे घोसलें के चंद तिनकों को बचा लेना |

मैं टूट के बिखर जाऊंगा अब …
बिखरुं , इससे पहले ही तुम जोड़ देना |

नहीं मांगता मैं तुमसे कुछ लम्हों का साथ
ताउम्र निभा सको ऐसा कोई वादा निभा जाना |

यक़ीनन मैं क़ाफ़िर बन जाऊं उस खुदा की नज़र में
लेकिन तुम अपनी दुआ के हर्फों से मुझे बचा लेना |

तमाम अरसा मैं मुन्तज़िर रहा हूँ तेरी माफियों का
अब तो इस तलबग़ार पे एक नज़र का करम बरसा जा |

द्वारा – नेहा ‘आज़ाद’

4 Likes · 6 Comments · 325 Views
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