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29 Mar 2023 · 1 min read

मासूम गुलाल (कुंडलिया)

मासूम गुलाल (कुंडलिया)
——_——–
कहने भर को था मुआ ,बस मासूम गुलाल
नटखट रंग बसा हुआ , उसमें पक्का लाल
उसमें पक्का लाल ,रंग फिर कब छुट पाया
जाने था वह कौन , मिलाकर जो ले आया
कहते रवि कविराय , प्यार पड़ते हैं सहने
कुछ अपनों का वार ,वाह भ्राता क्या कहने
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
भ्राता = बंधु ,भाई ,घनिष्ठ मित्र
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

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